आदमी नहीं समय बलवान होता है और बैंक ऑफ पोलमपुर की अनेक घटनाओं ने यह सिद्ध भी किया।
बैंक ऑफ पोलमपुर में एक अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक थे नाम था एम एम मुखर्जी।वे चिल्ला चिल्ला कर अपने अधीनस्थ सभी महाप्रबंधक और उप महाप्रबंधकों को आतंकित कर देते थे। इस आतंक फैलाने का फायदा यह था कि उन्होंने जब भी किसी उद्योगपति को मोटी रकम देने के लिए मौखिक निर्देश दिए उनके निर्देशों की तुरंत अनुपालन हो जाती थी। इस तरह मुखर्जी साहब ने मोटी रकम कमा ली। उनका फार्मूला था- चोरी और सीनाजोरी ।जब वे मंडल प्रमुख सम्मेलन में मंडल प्रमुखों को संबोधित करते थे तो आतंक का माहौल रहता था और भाग लेने वाले लोग राम-राम करके दो दिन निकालते थे। बैंक की एक महिला महाप्रबंधक सुलोचना देवी भी अपने अभद्र व्यवहार के कारण मशहूर थी। सुलोचना देवी मुखर्जी साहब की खास सिपहसालार थी।
सुलोचनादेवी भी के भाव सातवें आसमान पर रहते थे।
बाद में समय का चक्र ऐसा घूमा कि मुखर्जी साहब और सुलोचना देवी दोनों अलग-अलग मामलों में सीबीआई के जाल में फंस गए।
मुखर्जी साहब का परिवार लंदन में रहता था और इधर सीबीआई ने उनका पासपोर्ट भी जब्त कर दिया।
बैंक ऑफ पोलमपुर में जब एक दिन शून्य काल ( लंच ) में इस बारे में चर्चा हो रही थी तो एक चपरासी ने बड़ी अच्छी टिप्पणी की । उसने कहा - समय समय की बात है साहब, एक टाइम था जब खड़क सिंह के खड़कने से खड़कती थी खिड़कियां, अब खिड़कियों के खड़कने से खड़कता है खड़क सिंह !!!
कहानी लंबी है यहां कैसे बताऊं?
पढ़े बैंक ऑफ पोलमपुर
यह हमारी वेबसाइट और amazon पर हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में उपलब्ध है।
www.vedmathur.com
Rs 198
बैंक ऑफ पोलमपुर में एक अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक थे नाम था एम एम मुखर्जी।वे चिल्ला चिल्ला कर अपने अधीनस्थ सभी महाप्रबंधक और उप महाप्रबंधकों को आतंकित कर देते थे। इस आतंक फैलाने का फायदा यह था कि उन्होंने जब भी किसी उद्योगपति को मोटी रकम देने के लिए मौखिक निर्देश दिए उनके निर्देशों की तुरंत अनुपालन हो जाती थी। इस तरह मुखर्जी साहब ने मोटी रकम कमा ली। उनका फार्मूला था- चोरी और सीनाजोरी ।जब वे मंडल प्रमुख सम्मेलन में मंडल प्रमुखों को संबोधित करते थे तो आतंक का माहौल रहता था और भाग लेने वाले लोग राम-राम करके दो दिन निकालते थे। बैंक की एक महिला महाप्रबंधक सुलोचना देवी भी अपने अभद्र व्यवहार के कारण मशहूर थी। सुलोचना देवी मुखर्जी साहब की खास सिपहसालार थी।
सुलोचनादेवी भी के भाव सातवें आसमान पर रहते थे।
बाद में समय का चक्र ऐसा घूमा कि मुखर्जी साहब और सुलोचना देवी दोनों अलग-अलग मामलों में सीबीआई के जाल में फंस गए।
मुखर्जी साहब का परिवार लंदन में रहता था और इधर सीबीआई ने उनका पासपोर्ट भी जब्त कर दिया।
बैंक ऑफ पोलमपुर में जब एक दिन शून्य काल ( लंच ) में इस बारे में चर्चा हो रही थी तो एक चपरासी ने बड़ी अच्छी टिप्पणी की । उसने कहा - समय समय की बात है साहब, एक टाइम था जब खड़क सिंह के खड़कने से खड़कती थी खिड़कियां, अब खिड़कियों के खड़कने से खड़कता है खड़क सिंह !!!
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