बैंक कर्मचारियों की मुख्य समस्या स्टाफ की कमी और इसके कारण लेट सिटिंग की परेशानी है।
यह सही है कि बैंकों में ओवरऑल स्टाफ की कमी है लेकिन यह भी सत्य है कि वर्तमान में अधिकांश बैंकों में प्रधान कार्यालय व अन्य नियंत्रक कार्यालयों में स्टाफ शाखाओं की तुलना में सरप्लस है। इसका परिणाम यह हो गया कि शाखाओं में मल्टी टास्किंग करने वाले कर्मचारियों की संख्या तो सीमित है लेकिन उन्हें मॉनिटर करने वालों की संख्या कई गुना अधिक है।
प्रशासनिक और नियंत्रक कार्यालयों में स्टाफ कई गुना ज्यादा है जब कि शाखाएं स्टाफ की कमी से परेशान हैं।
बैंकों के आपसी विलय के बाद कम से कम इन बैंकों में तो स्टाफ की कमी नहीं होनी चाहिए लेकिन जब भी स्टाफ उपलब्ध होता है तो प्रशासनिक कार्यालय अधिक से अधिक स्टाफ हड़प लेते हैं।यही नहीं वह अपने कार्यालयों में चयनित स्टाफ लेते हैं। अब वह समय आ गया है जब प्रशासनिक कार्यालयों में स्टाफ कम किया जाए और इसे शाखाओं में तैनात किया जाए।
'बैंक ऑफ पोलमपुर' के रसातल में जाने के दस प्रमुख कारणों में से एक स्टाफ का असमान वितरण भी था।
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पढें
व्यंग्य उपन्यास
बैंक ऑफ़ पोलमपुर
अमेजॉन और हमारी वेबसाइट पर कुछ दिन के लिए मात्र ₹ 198 में उपलब्ध पुस्तक के हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में संस्करण उपलब्ध हैं।
www.vedmathur.com
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